तस्कीन-ए-दिल के वास्ते हर कम-बग़ल के पास By Qita << ज़िंदगी इस तरह भटकती है तितली कोई बे-तरह भटक कर >> तस्कीन-ए-दिल के वास्ते हर कम-बग़ल के पास इंसाफ़ करिए कब तईं मुख़्लिस हक़ीर हो यक वक़्त ख़ास हक़ में मिरे कुछ दुआ करो तुम भी तो 'मीर' साहब ओ क़िबला फ़क़ीर हो Share on: