तुम्हारे हुस्न से रहती है हम-कनार नज़र By Qita << फाँस की तरह हर इक साँस खट... ये भी क्या चाल है हर गाम ... >> तुम्हारे हुस्न से रहती है हम-कनार नज़र तुम्हारी याद से दिल हम-कलाम रहता है रही फ़राग़त-ए-हिज्राँ तो हो रहेगा तय तुम्हारी चाह का जो जो मक़ाम रहता है Share on: