मौत के ब'अद भी तो चलता है By Qita << मुन्ने का बस्ता पूछा कैसे? तो हँस के फ़रम... >> मौत के ब'अद भी तो चलता है ज़िंदगी तेरे जब्र का नाटक फूल हँसते हुए ही जाते हैं शाख़ से बाग़बाँ की झोली तक Share on: