ये पुर-फ़रेब सितारे ये बिजलियों के चराग़ By Qita << हद से बढ़ने लगी जब मेरी घ... गुल्सितानों में घूम लेता ... >> ये पुर-फ़रेब सितारे ये बिजलियों के चराग़ जवाब-ए-जल्वा-ए-ख़ुरशीद हो नहीं सकते शब-ए-फ़िराक़ का पहला सा दर्द-ओ-ग़म है वही ये और बात है अब खुल के रो नहीं सकते Share on: