ये रक़्स रक़्स-ए-शरर ही सही मगर ऐ दोस्त By Qita << बड़ा मुंसिफ़ है अमरीका उस... चाँदनी से धुली हुई रातें >> ये रक़्स रक़्स-ए-शरर ही सही मगर ऐ दोस्त दिलों के साज़ पे रक़्स-ए-शरर ग़नीमत है क़रीब आओ ज़रा और भी क़रीब आओ! कि रूह का सफ़र-ए-मुख़्तसर ग़नीमत है Share on: