ये तो हैं चंद ही जल्वे जो छलक आए हैं By Qita << ज़ेहन ओ जज़्बात ओ इशारात ... ये हुकूमत के पुजारी हैं य... >> ये तो हैं चंद ही जल्वे जो छलक आए हैं रंग हैं और मिरे दिल के गुलिस्ताँ में अभी मेरे आग़ोश-ए-तख़य्युल में हैं लाखों सुब्हें आफ़्ताब और भी हैं मेरे गरेबाँ में अभी Share on: