ये वो फ़ज़ा है जहाँ फ़र्क़-ए-सुब्ह-ओ-शाम नहीं By Qita << ज़िंदाँ ज़िंदाँ शोर-ए-अनल... शम्अ की तरह पिघलते हुए दि... >> ये वो फ़ज़ा है जहाँ फ़र्क़-ए-सुब्ह-ओ-शाम नहीं कि गर्दिशों में यहाँ ज़िंदगी का जाम नहीं दयार-ए-पाक में मत पढ़ कलाम-ए-रूह-अफ़ज़ा कि मक़बरों में ख़तीबों का कोई काम नहीं Share on: