यूँ लगे तेरे तज़्किरा से अगर By Qita << कितने पाकीज़ा हैं नौ-ख़ेज... जब कोई जुगनू चमकता है अँध... >> यूँ लगे तेरे तज़्किरा से अगर नाम मेरा हटा दिया जाए जैसे इक फूल की कहानी से ज़िक्र-ए-ख़ुशबू उड़ा दिया जाए Share on: