अफ़्सुर्दा फ़ज़ा पे जैसे छाया हो हिरास By Rubaai << बेताबी में हर तरह से बर्ब... ले डूबेगी ख़ामोशी कोई दम ... >> अफ़्सुर्दा फ़ज़ा पे जैसे छाया हो हिरास दुनिया को कोई हवा भी आती नहीं रास डूबी जाती हो जैसे नब्ज़-ए-कौनैन जिस बात पे हुस्न आज इतना है उदास Share on: