अहबाब से उम्मीद है बे-जा मुझ को By क़ब्र, दोस्त, Rubaai << वक़्त की मुसाइदत कहते रहें ये लोग कि अच्छा... >> अहबाब से उम्मीद है बेजा मुझ को उम्मीद-ए-अता-ए-हक़ है ज़ेबा मुझ को क्या उन से तवक़्क़ो कि मियान-ए-मरक़द छोड़ आएँगे इक रोज़ ये तन्हा मुझ को Share on: