अख़्लाक़ के उंसुर हों अगर अस्ल मिज़ाज By Rubaai << अख़्लाक़ से जहल इल्म-ओ-फ़... ऐ शैख़-ए-हरम तक तुझे आना ... >> अख़्लाक़ के उंसुर हूँ अगर अस्ल मिज़ाज जो क़ौम हो कभी न मुहताज-ए-इलाज हो उस को हमेशा ख़र्क़-ए-आदत का ज़ुहूर हासिल हो उसे उम्र-ए-अबद की मेराज Share on: