अर्बाब-ए-क़ुयूद तुझ को क्या देखेंगे By Rubaai << बदले न सदाक़त का निशाँ एक... अख़्लाक़ से जहल इल्म-ओ-फ़... >> अर्बाब-ए-क़ुयूद तुझ को क्या देखेंगे ख़्वाहान-ए-नुमूद तुझ को क्या देखेंगे रूयत के लिए शर्त है मैदान-ए-फ़ना पाबंद-ए-वजूद तुझ को क्या देखेंगे Share on: