अशआर में ढलता है मिरा सोज़-ए-दरूँ By Rubaai << आदम को अजब ख़ुदा ने रुत्ब... आवाज़ पे संगीत का होता है... >> अशआर में ढलता है मिरा सोज़-ए-दरूँ अफ़्कार में मिलता है हक़ीक़त का फ़ुसूँ ज़ख़्मों की नुमाइश नहीं मंज़ूर मुझे हालात से लड़ता है अभी मेरा जुनूँ Share on: