बिस्त-ओ-यकुम-ए-माह-ए-मोहर्रम है आज By Rubaai << कोमल पद-गामिनी की आहट तो ... किस प्यार से होती है ख़फ़... >> बस्त-ओ-यकुम-ए-माह-ए-मोहर्रम है आज जिस आँख को देखिए वो पुर-नम है आज आशूर से बे-दफ़्न है लाशा जिस का उस बे-कफ़न-ओ-गोर का मातम है आज Share on: