दौलत नहीं जब तक ये ज़ुबूँ रहते हैं By Rubaai << इक आतिश-ए-सय्याल से भर दे... कोताह न उम्र-ए-मय-परस्ती ... >> दौलत नहीं जब तक ये ज़ुबूँ रहते हैं मेहराब-ए-दुआ में सर-निगूँ रहते हैं आ जाती है जिस वक़्त घर उन के दौलत फिर क्या है ये सरगर्म-ए-जुनूँ रहते हैं Share on: