दीन और दुनिया का तफ़रक़ा है मोहमल Admin Rubaai << दुनिया का न खा फ़रेब वीरा... ढूँडा करे कोई लाख क्या मि... >> दीन और दुनिया का तफ़रक़ा है मोहमल निय्यत ही पे मौक़ूफ़ है तन्क़ीह-ए-अमल दुनिया-दारी भी ऐन दीं-दारी है मरकूज़ हो गर रज़ा-ए-हक़ इज़्ज़-ओ-जल Share on: