दुनिया है अजब बू-क़लमूँ ज़िद-आमोज़ Admin गुस्ताखी माफ शायरी, Rubaai << दुनिया का अजब रंग से देखा... दीं ही बेहोश है न दुनिया ... >> दुनिया है अजब बू-क़लमूँ ज़िद-आमोज़ हर शक्ल-ए-मुआफ़िक़ है मुख़ालिफ़-अंदोज़ याँ दस्त-ओ-गरेबाँ हैं दर्द-ओ-दरमाँ हर सोज़ में है साज़ तो हर साज़ में सोज़ Share on: