ऐ साहब-ए-ज़र अमीर-ए-आला तू कौन By Rubaai << आँखों में सहर झलक रही है ... ख़ानों में कई ख़ुद को बट ... >> ऐ साहब-ए-ज़र अमीर-ए-आला तो कौन आता है ख़याल ला-मुहाला तू कौन जो कुछ भी मिले अता-ए-क़ुदरत से मिले इनआ'म मुझे देने वाला तू कौन Share on: