फ़ानी न कहो होता है कम इस का वक़ार By Rubaai << आँखों में वो रस जो पत्ती ... ये बज़्म-गीर अमल है बे-नग... >> फ़ानी न कहो होता है कम इस का वक़ार इंसान का होता है दवामी किरदार मायूस हो क्यूँ वक़्त की ज़ुल्मत से कोई हर रात से पैदा हैं सहर के आसार Share on: