गेसू बिखरे हुए घटाएँ बे-ख़ुद By Rubaai << कहते हैं ब-सद-नाज़ मिरा न... हम दिल से जो चाहते हैं ऐ ... >> गेसू बिखरे हुए घटाएँ बे-ख़ुद आँचल लटका हुआ हवाएँ बे-ख़ुद पुर-कैफ़ शबाब से अदाएँ बे-ख़ुद गाती हुई साँस से फ़ज़ाएँ बे-ख़ुद Share on: