गुलज़ार से क्या दश्त-ओ-दमन से गुज़रे By Rubaai << आसार-ए-ज़वाल जवानों को मिरी आह-ए-सहर द... >> गुलज़ार से क्या दश्त-ओ-दमन से गुज़रे तलवार से क्या दार-ओ-रसन से गुज़रे फूलों की ललक वो थी कि 'शिबली' हम लोग हर मार्का-ए-रंज-ओ-मेहन से गुज़रे Share on: