गुलज़ार-ए-जहाँ से बाग़-ए-जन्नत में गए By Rubaai << पाते जाना है और न खोते जा... पनघट पे गगरियाँ छलकने का ... >> गुलज़ार-ए-जहाँ से बाग़-ए-जन्नत में गए मरहूम हुए जवार-ए-रहमत में गए मद्दाह-ए-अली का मर्तबा आला है 'ग़ालिब'-ए-असदुल्लाह की ख़िदमत में गए Share on: