हम देख के तुम से रुख़-ए-आराम मियाँ By Rubaai << दोशीज़ा-ए-बहार मुस्कुराए ... लेता था जवानी में कभी जिस... >> हम देख के तुम से रुख़-ए-आराम मियाँ ख़ुश रहते हैं दिल में सहर ओ शाम मियाँ दीवाने तुम्हारे जब अदा के ठहरे फिर हुस्न-ए-परी से हमें क्या काम मियाँ Share on: