हमराह अदम से इज़्तिराब आया है Admin सबा बलरामपुरी शायरी, Rubaai << कहते हैं कि रौनक़-ए-जमाली ... है सू-ए-फ़लक नज़र तमाशा क... >> हमराह अदम से इज़्तिराब आया है मेरे लिए दुनिया में अज़ाब आया है तिफ़्ली में पड़ी थी दोनों हाथों पर मार अब दिल की है बारी कि शबाब आया है Share on: