हर लहज़ा इधर और उधर देख लिया By Rubaai << आवाज़ पे संगीत का होता है... होंटों पे दुआ आई मगर आया ... >> हर लहज़ा इधर और उधर देख लिया हर ख़तरे को ता-हद्द-ए-नज़र देख लिया सौ पर्दों में छुप छुप के किए हम ने गुनाह इक देखने वाले ने मगर देख लिया Share on: