इक जहल के सैलाब में जो बहते हैं Admin उर्दू शायरी ज़िन्दगी, Rubaai << इक वो हैं कि इंकार किए जा... बेकस की कोई किस लिए इमदाद... >> इक जहल के सैलाब में जो बहते हैं इक आलम-ए-मौहूम में जो रहते हैं कम-ज़र्फ़-ओ-कम-अंदेश हैं कज-फ़हम हैं जो बे-वज्ह वो उर्दू को बुरा कहते हैं Share on: