इक शम्अ सर-ए-राह जली ख़ैर हुई By Rubaai << अमृत से फ़ज़ाएँ दम-ब-दम ध... फैली है अजब आग तुझे इस से... >> इक शम्अ सर-ए-राह जली ख़ैर हुई तशवीश की हाजत न रही ख़ैर हुई कमज़ोर सही मगर उजाला तो हुआ तौक़ीर-ए-हयात बढ़ गई ख़ैर हुई Share on: