जिस तरह नद्दी में एक तारा लहराए By Rubaai << समझा हुआ जब कोई इशारा न म... साक़ी से जो हम ने मय का इ... >> जिस तरह नद्दी में एक तारा लहराए जिस तरह घटा में एक कौंदा बल खाए बर्माए फ़ज़ा को जैसे इक चंद्र किरन यूँही शाम-ए-फ़िराक़ तेरी याद आए Share on: