क़ल्लाश है क़ौम तो पढ़ेगी क्यूँकर By Rubaai << क्यूँ ज़ेहन में ये खौलता ... कर लुत्फ़-ओ-मुदारा से दिल... >> क़ल्लाश है क़ौम तो पढ़ेगी क्यूँकर पसमाँदा है अब तो फिर बढ़ेगी क्यूँकर बच्चों के लिए नहीं है स्कूल की फ़ीस ये बैल कहो मंढे चढ़ेगी क्यूँकर Share on: