लिहाफ़ Admin आत्मा पर शायरी, Rubaai << मा'सूमा गर्म हवा >> ये दाग़ आत्मा का जो बिस्तर से मिला है शीशे को ये सदमा किसी पत्थर से मिला है क्या देख लिया मैं ने लिहाफ़ में ऐ हे अफ़्साने का उनवाँ इसी चादर से मिला है Share on: