मक्र-ओ-रिया By Rubaai << रहमान-ओ-रहीम है वो रब्ब-ए... किस वास्ते साहिल पे खड़े ... >> 'हाली' रह-ए-रास्त जो कि चलते हैं सदा ख़तरा उन्हें गुर्ग का न डर शेरों का लेकिन उन भेड़ियों से वाजिब है हज़र भेड़ों के लिबास में हैं जो जल्वा-नुमा Share on: