मिट्टी हैं होंगे ज़मीन का पैवंद By Rubaai << मस्ती में नज़र चमक रही है... कहते हो कि कर लेंगे हम इस... >> मिट्टी हैं होंगे ज़मीन का पैवंद फैले हुए चार सम्त असलन पाबंद हम जड़ से उखाड़े हुए अश्जार के बर्ग गुलशन न ज़िम्मा-दार ख़ुद्दारियाँ चे-कुनंद Share on: