पैरी में हवास-ओ-होश सब खोते हैं Admin बुढ़ापा, Rubaai << तिफ़्ली ने बे-ख़ुदी का आग... नामी हुए बे निशान होने के... >> पीरी में हवास-ओ-होश सब खोते हैं कब अहद-ए-जवानी के लिए रोते हैं हुशियार शबाब में थे पीरी में हैं ग़श शब भर जागे थे सुबह को सोते हैं Share on: