रौशन है कि शाद-ए-सुख़न-आरा मैं हूँ By Rubaai << साक़ी के करम से फ़ैज़ ये ... मज़मूँ मेरे दिल में बे-तल... >> रौशन है कि शाद-ए-सुख़न-आरा मैं हूँ समझो न मुझे ग़ैर तुम्हारा मैं हूँ मग़रिब में शुआ बढ़ के पहुँचेगी ज़रूर मशरिक़ का चमकता हुआ तारा मैं हूँ Share on: