तदबीर-ए-शिफ़ा किसे बताए कोई By Rubaai << बीते हुए लम्हों का इशारा ... क़ाएम रखें आसूदा मकाँ हम ... >> तदबीर-ए-शिफ़ा किसे बताए कोई झूटे वा'दों पे क्यूँ फँसाए कोई ग़व्वास ही बेरी हो समुंदर से अगर सच्चे मोती कहाँ से लाए कोई Share on: