टेढ़ी लकीर Admin मर्द पर शायरी, Rubaai << फूलों की सुहाग सेज ये जोब... मा'सूमा >> पत्थर पे चले कोई कंखजूरा जैसे औरत को मिले मर्द अधूरा जैसे इस्मत की कहानियों से ये चलता है पता इंसान अभी तक नहीं पूरा जैसे Share on: