थे पहले खिलौनों की तलब में बेताब By Rubaai << वो आएँ तो होगी तमन्नाओं क... साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-... >> थे पहले खिलौनों की तलब में बेताब फिर हुस्न के जल्वों से रहे बे-ख़ोर-ओ-ख़्वाब अब हैं ज़न ओ फ़रज़ंद पे दिल से क़ुर्बान बूढ़े हैं मगर हनूज़ बच्चे हैं जनाब Share on: