तिरा तन रूह से ना-आश्ना है By Rubaai << ख़ुद-साख़्ता अफ़्साने सुन... आदम को अजब ख़ुदा ने रुत्ब... >> तिरा तन रूह से ना-आश्ना है अजब क्या आह तेरी ना-रसा है तन-ए-बे-रूह से बे-ज़ार है हक़ ख़ुदा-ए-ज़िंदा ज़िंदों का ख़ुदा है Share on: