टूटी हुई ब़ाँबी में वो बस लेता है By Rubaai << हम दिल से जो चाहते हैं ऐ ... जब अहल-ए-गुलिस्ताँ को शुऊ... >> टूटी हुई ब़ाँबी में वो बस लेता है भूका हो तो कुछ रोज़ तरस लेता है इस पर भी नहीं साँप को डसता कोई साँप इंसाँ मगर इंसान को डस लेता है Share on: