ये साज़-ए-तरब ये शादमानी कब तक By Rubaai << ये शौक़-ए-शराब-ओ-जाम-ओ-मी... ये फूल चमन को क्या सँवारे... >> ये साज़-ए-तरब ये शादमानी कब तक ये कैफ़-ए-शराब-ए-उर्ग़ुवानी कब तक आ होश में आँख खोल फ़र्दा को न भूल माना कि जवाँ है तो जवानी कब तक Share on: