भूलना तो ज़माने की रीत है मगर Shayari << महफ़िल मैं कुछ तो सुनाना प... उसे गुरुर है कि और भी हैं... >> भूलना तो ज़माने की रीत है मगर...तुमने ये शुरुआत हमसे ही क्यों की !!! Share on: