दुआ मांगी थी आशियाने की गम की शायरी, Shayari << ख्वाहिश तो न थी हमें ठुकराने में अब उनकी ... >> दुआ मांगी थी आशियाने की,चल पड़ी आंधियां ज़माने की...मेरे गम को कोई समझ न पाया,मुझे आदत थी मुस्कुराने की... Share on: