हम भी किसी की दिल की हवालात में कैद थे गैरों पर शायरी, Shayari << रात की तन्हाई में उनको आव... रात चुप हे मगर चाँद खामोस... >> हम भी किसी की दिल की हवालात में कैद थे..!!फिर उसने गैरों के जमानत पर हमें रिहा कर दिया..!! Share on: