खिल सको तो फुल की तरह खिलो| फुल कि शायरी, Shayari << रात चुप हे मगर चाँद खामोस... बहुत थक गया था परवाह ... >> खिल सको तो फुल की तरह खिलो|जल सको तो दीप की तरह जलो|मिल सको तो दूध में पाणी की तरह मिलो|ऐसी ही जीवन की नीति हो, रीती हो और प्रीति हो. Share on: