जिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जाय जलेबी पर शायरी, Shayari << शायरी इक शरारत भरी शाम है अब तो पत्थर भी बचने लगे ह... >> जिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जाय,शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं कि मर मर कर जिया जाए।जब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू ए जिंदगीतो फिर क्यों न तुझे चाशनी में डुबा कर मजा ले ही लिया जाए ! Share on: