खेलना अच्छा नहीं किसी के नाज़ुक दिल से दिलों से खेलना शायरी, Shayari << कभी मुस्कुराती आँखे भी कर... एक तेरे बगैर ही ना गुज़रेग... >> खेलना अच्छा नहीं किसी के नाज़ुक दिल से..दर्द जान जाओगे..जब कोई खेलेगा तुम्हारे दिल से.. Share on: