तुमसे मिलकर जाने किस गुमान में हूँ मैं… शायरी आसमान पर, Shayari << छूह लो तुम यूं ज़रा सा एक फूल अजीब था >> तुमसे मिलकर जाने किस गुमान में हूँ मैं…देखो भूल गया सब पते-ठिकाने… आसमान में हूँ मैं…! Share on: