ज़रूरत’ दिन निकलते ही निकल पड़ती है ‘डयूटी’ पर Admin हड़ताल पर शायरी, Sher O Shayari << मेरी बात सुन पगली अकेले ह... कागज़ के नोटों से आखिर कि... >> ज़रूरत’ दिन निकलते ही निकल पड़ती है ‘डयूटी’ पर,‘बदन’ हर शाम कहता है कि अब ‘हड़ताल’ हो जाए ।। Share on: