मेरी बात सुन पगली अकेले हम ही शामिल नही है इस जुर्म में Admin सुन पगली शायरी, Sher O Shayari << न जाने कैसी नज़र लगी है ज़म... ज़रूरत’ दिन निकलते ही निकल... >> मेरी बात सुन पगलीअकेले हम ही शामिल नही है इस जुर्म में....जब नजरे मिली थी तो मुस्कराई तू भी थी...!!!!! Share on: