पहना रहे हो क्यूँ मुझे तुम काँच का लिबास Admin Sher O Shayari << कागज़ के नोटों से आखिर कि... रिमझिम तो है मगर सावन गाय... >> पहना रहे हो क्यूँ मुझे तुम काँच का लिबास..."बच गया है क्या फिर कोई पत्थर तुम्हारे पास.".!! Share on: